Patna Ka super hero । पटना का सुपरहीरो - Nihal Parashar
Patna Ka super hero । पटना का सुपरहीरो - Nihal Parashar
         
        
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पटना का सुपरहीरो
लेखक: निहाल पराशर
पटना की गलियों में छुपे उन गुमनाम नायकों की कहानियाँ, जो हर रोज़ अपने संघर्षों से लड़ते हुए दूसरों को प्रेरणा देते हैं। पटना का सुपरहीरो में ऐसी छह कहानियों का संग्रह है, जो असल ज़िन्दगी के उन हीरोज़ को उजागर करता है, जिनकी कहानियाँ सुनने में भले ही आम लगें, परंतु उनके साहस और दृढ़ता की गहराई असाधारण है।
इन छह कहानियों में लेखक निहाल पराशर ने पटना के उन अनसुने नायकों के जीवन को बहुत ही संजीदगी से कागज़ पर उतारा है। हर कहानी में न सिर्फ शहर की पहचान है, बल्कि उन साधारण लोगों की जीवंतता भी है जो बिना किसी पहचान के समाज में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। यह किताब हमें बताती है कि असली हीरो हमारे आसपास ही हैं—साधारण लोग, असाधारण प्रेरणा के साथ।
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कथानक,लेखक और पाठक में साझा तत्त्व अपना शहर (पटना) होने के कारण जब इस किताब को खरीदने के लिए ऑनलाइन माध्यमों तक पहुंचा तो किताब को सबसे कम मूल्य पर  उपलब्ध करा रहा प्लेटफॉर्म vrinda market अपना पटनहिया निकला।किताब की पैकिंग के ऊपर चिपकाए गए मोरपंख ने ऐसी अनुभूति दी कि जैसे ये किताब  खरीदी न गई हो बल्कि किसी संवेदनशील किताबप्रेमी ने उपहार में दी हो।
   कहानी संग्रह के शीर्षक में पटना नाम का आकर्षण था या इसकी नाट्य प्रस्तुति को न देख पाने के अफसोस से उपजी उत्सुकता पता नहीं,किताब आज ही मिली और आज ही पढ़ ली गई।
     निहाल ने सभी कहानियों में उस भाव बोध को बनाए रखा है जिस क्षण इन्हें महसूस किया गया होगा।स्मृतियों की यात्रा में निहाल के पात्र अनगढ़ हैं,वे वैसे ही अभिव्यक्त किए गए हैं जैसी उनकी संवेदना थी।कहानीकार ने न तो अपनी बौद्धिकता थापी है न अपने बहुआयामी व्यक्तित्व का भौकाल बनाया है। सामान्य बोलचाल की भाषा में किरदारों का मनोविज्ञान कहानी की शक्ल में हमसे रूबरू होता है और  हमें अपनी मासूम अभिव्यक्तियों,अनायास किए तार्किक अतार्किक प्रतिक्रिया की याद कराता हुआ विस्मित,विचलित कर देता है।
       निहाल अपनी कहानियों में किशोर मन के उन सभी सामान्य भावों को टटोलते हैं जिनसे हर किशोर ख़ुद ही बात करता है।निहाल के किरदार बगैर किसी अतिरेक के कथा को विस्तार देते हुए स्थिति का स्वाभाविक चित्रण करते हैं।
                हर किसी का कोई न कोई सुपरहीरो होता है और हर कोई किसी न किसी का सुपरहीरो हो सकता है।
  इस कहानी संग्रह को पढ़ते हुए आप अपने स्कूल जीवन के माहौल में अनायास प्रवेश कर बैठते हैं जहां सब कुछ याद आने लगेगा जो मन के कोने में विस्मृत हो चुका था।वो याद आता बचपन और उसके सहारे बाल मन सी लौटती संवेदना आपको वर्तमान में जागरूक बना देगी।किशोर मन के उमड़ते स्वप्न,अपराध कही समझी जाने वाली सामान्य क्रियाएं आपको स्मृति यात्रा से लौटने के उपरांत सुखद अनुभूति देंगी।
            रश्क कहानी क्रिकेट कमेंट्री की तरह हो गई है पर शायद किशोर मन के क्रिकेट प्रेम के कारण ये स्वीकार्य बन पड़ा हो।इस कहानी का क्लाइमैक्स इसकी विशेषता है।
                  एक भूली हुई प्रेम कहानी इस कहानी संग्रह में मेरी पसंदीदा है।हमारा सारा आपसी संवाद ही इंटरेस्टिंग कहानियों पर आधारित है।
             सभी कहानियों का किशोर मन पटनहिया होने के बोध से लबरेज है।वो विशिष्ट अनुभव करता है पटना से अपने जुड़ाव पर।
   जिन्हें अतीत की स्वीकारोक्ति से परहेज न हो और जिनके व्यक्तित्व में अपने शहर की छाप,याद हो उन्हें ये किताब पढ़नी चाहिए।
           और हो जिनका शहर पटना उन्हें तो ज़रूर पढ़नी चाहिए।
      Thanks NIHAL PARASHAR एंड Vrinda Market
             हममें जो कॉमन है
              वो है अपना पटना
